पं. तुंगनाथ बाजपेयी जी "अध्यक्ष" कार्यकाल - सन् : 1977-1979 तक

परिचय

पं. तुंगनाथ जी बाजपेयी का जन्म छत्तीसगढ़ के पिथौरा में स्व. पं. राधारमणजी बाजपेयी के घर दूसरी संतान के रूप में फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 2 मार्च सन् 1910 को हुआ था। पं. राधारमण जी बाजपेयी मूलतः रायबरेली, उत्तर प्रदेश के निवासी थे जो बाद में रायपुर में बस गये थे। उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा बारहवीं तक रायपुर में, महाविद्यालय की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक बी. ए. तथा एल. एल. बी. की डिग्री नागपुर में हुई। वकालत के व्यवसाय में उनका कार्यक्षेत्र महासमुंद से लेकर रायपुर के बीच रहा। उनका विवाह झारसुगुड़ा के प्रतिष्ठित तेंदुपत्ता व्यापारी पं. विश्वनाथ जी मिश्रा की सुपुत्री गायत्री देवी के साथ हुआ। उनके परिवार में उनकी दो पुत्रियां थीं जिनमें से बड़ी पुत्री शांति देवी का विवाह झांसी तथा छोटी पुत्री गिरजा देवी का विवाह राजनांदगांव के प्रतिष्ठित परिवारों में हुआ। उनकी पहचान एक ऐसे प्रख्यात अधिवक्ता, जो कि सादा जीवन उच्च विचार वाले सिद्धांत का पालन करता हो तथा धार्मिक और योगी जीवन जीने वाले के रूप में रही। वर्ष 1977 से 1979 की अवधि में समाज को अध्यक्ष के रूप में आपका मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। आपके कार्यालय में पं. शैलेन्द्र कुमार तिवारी जी सचिव रहे। पं. तुंगनाथ बाजपेयी जी ने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में वर्तमान में दिख रहे आशीर्वाद भवन की कल्पना करते हुए नक्शा बनवा कर प्लिंथ लेवल तक का कार्य पूर्ण कराया। अपने सहज और स्पष्टवादी स्वभाव के लिए जाने जाते रहे। अपने पेशे के प्रति समर्पित भाव से उन्होंने समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय को सहज रूप में उपलब्ध कराया। समाज द्वारा संचालित स्कूल में प्रतिभावान छात्र छात्राओं के उत्साह वर्धन हेतु पुरस्कार दिये जाने के उद्देश्य से उनकी पुत्री गिरजा देवी धर्मपत्नी श्री प्रभात तिवारी, अधिवक्ता राजनांदगांव द्वारा श्री बाजपेयी जी की स्मृति में रु. 50000/- दान राशि प्रदान की। किसी भी निरीह का शोषण नहीं होने दिया। उन्होंने शिक्षा को महत्व देते हुए सभी वर्गों, खासकर ब्राह्मणों के निर्धन छात्र छात्राओं को हर हमेशा सहायता किया की। पत्नी के निधन के बाद नारी शिक्षा के प्रति संवेदनशील होते हुए महासमुंद कन्या शाला में प्रतिभाशाली छात्राओं को पुरस्कृत करने के लिए धनराशि स्कूल प्रबंधन को दी थी। वे योग एवं नियमित दिनचर्या को बहुत महत्व दिया करते थे। इस तरह 75 वर्ष की आयु में 10 दिसंबर 1984 को राजनांदगांव में अंतिम सांस ली। कान्यकुब्ज सभा-शिक्षा मंडल संस्था के आशीर्वाद भवन में कक्ष क्रमांक - 4 का नामकरण पं. तुंगनाथ बाजपेयी जी की स्मृति में किया गया है। *********



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