पं. बिशम्भर देव मिश्र "अध्यक्ष" कार्यकाल - सन् : 1965-1976 तक
परिचय
आपका जन्म सन् 1906 में झांसी, उत्तर प्रदेश में हुआ। आपने इलाहाबाद से बी.एससी. तथा नागपुर विश्व विद्यालय से एल. एल. बी. की डिग्री प्राप्त की। आपकी माता का नाम श्रीमती राजदुलारी मिश्रा तथा पिता का नाम पं. मोहन लाल मिश्र था। आपने सन् 1931 जनवरी में इंकम टैक्स इंस्पेक्टर की नौकरी से जीवन यात्रा शुरू की किन्तु दो माह बाद तबादला होने के कारण नौकरी छोड़ दी। मार्च 1931 से इनकम टैक्स की वकालत प्रारंभ की। अप्रैल 1932 में चाँदा छोड़कर रायपुर आ गए और फिर जीवन-पर्यन्त यही रहे। वह कई वर्षों तक रविशंकर विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी में रहे, उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और खेल में योगदान दिया। वह दुनिया के लिए पितातुल्य थे, हर कोई उन्हें पिताजी कहकर बुलाते थे, यह हर किसी के जीवन में उनके पितातुल्य योगदान को दर्शाता है। कठिन परिश्रम, एकाग्रता से वकालत में काफी सफलता प्राप्त किये, नाम भी कमाया। वकालत जीवन के पचास वर्ष पूरे करने का उत्सव इन्कम टैक्स बार एसोशिएशन रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, दुर्ग में धूम-धाम से मनाया गया। आप स्वभाव से सरल, निर्भीक, साफ-साफ बात करने वाले थे। लोगों को उचित सलाह देना, गुप्त रूप से आर्थिक मदद करना, आपका स्वभाव था। आप प्रारंभ से ही कठिन परिश्रमी एवं अनुशासन प्रिय रहे। आप अपनी माता का बड़ा आदर करते थे। पिताजी की मृत्यु के बाद आपने 5 छोटे भाई व 3 अविवाहित बहनों का जिम्मेदारी से पालन-पोषण, पढाई, नौकरी, शादी-ब्याह किया। आपने अपनी संतानों को उचित शिक्षा, संस्कार दिए इनकी पत्नी श्रीमती प्रकाशवती मिश्रा अत्यंत धार्मिक महिला थी। ऐसे संवेदनशील व उत्तरदायी व्यक्तित्व से कान्यकुब्ज समाज लाभान्वित हुआ। कान्यकुब्ज सभा-शिक्षा मंडल संस्था के आशीर्वाद भवन के कक्ष क्रमांक - 3 का नाम पं. बिशम्भर देव मिश्र जी की स्मृति में रखा गया है। *********