डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र" "अध्यक्ष कार्यकाल - सन् : 1959-1961 तक

परिचय

डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र का जन्म 12 सितम्बर 1898 को राजनांदगांव में हुआ। आपने मैट्रिक की परीक्षा वर्ष 1914 में शासकीय बहुउद्देशीय माध्यामिक शाला राजनांदगांव से उत्तीर्ण की, वर्ष 1918 में स्लप कॉलेज नागपुर से बी.ए. 1920 में एम. ए. मनोविज्ञान तथा वर्ष 1921 में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की। डॉ. मिश्र हिन्दी साहित्य से दैदीप्यमान नक्षत्र रहे वे प्रतिष्ठित कवि थे। रामायण के ज्ञाता और प्रतिष्ठित प्रवचनकर्ता भी थे। राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के कार्यकाल में अनेक वर्षों तक वे पूरे श्रावण मास में रामायण और रामचरित्र मानस की कथा पर राष्ट्रपति भवन में प्रवचन करते थे, जिसे राष्ट्रपति के साथ दिल्ली के अनेक बुद्धिजीवी पूर्ण तन्मयता के साथ सुनते थे। डॉ. मिश्र ऐसे प्रथम शोर्घकर्ता थे, जिन्होंने अंग्रेजी शासन काल में हिन्दी भाषा में ही अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया, वर्ष 1939 में नागपुर विश्वविधालय में उन्होंने अपना शोध प्रबंध तुलसी दर्शन पीएचडी हेतु प्रस्तुत किया परन्तु दो महान विद्वान शोध परीक्षकों द्वारा मूल्यांकन रिपोर्ट में यह अनुशंसा की गई कि यह कार्य उच्च स्तर का है, अतएवं पीएचडी के स्थान पर डी. लिट की सर्वोच्च उपाधि दी जाय। विश्वविद्यालय द्वारा बगैर पीएचडी के आपको डी. लिट उपाधि से अलंकृत किया गया। दस वर्षों तक आप नागपुर विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। आपके द्वारा लिखित लगभग 100 ग्रंथों का प्रकाशन हुआ। डॉ. मिश्र ने प्रयाग लखनऊ, आगरा, दिल्ली, पंजाब, वाराणसी, पटना, कलकत्ता, जबलपुर, सागर, नागपुर हैद्राबाद तथा बड़ौदा विश्वविद्यालयों में डी. लिट तक के शोध छात्रों के परीक्षक के रूप में कार्य किया। मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तीन बार अध्यक्ष रहे। भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तुलसी जयंती समारोह के अध्यक्ष, बंग-हिन्दी परिषद के अध्यक्ष एवं मैसर राज्य में हिन्दी के विशिष्ट व्याख्याता रहे। हिन्दी एवं छत्तीसगढ़ी साहित्य पर आपके योगदान को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र अलंकरण पुरूस्कार की घोषणा की गयी है। साहित्य के क्षेत्र में विशेष, योगदान के लिये इस अंलकरण के साथ 50 हजार रू. की नगद राशि का प्रावधान है। रायगढ़ के संगीत, साहित्य और कला मर्मज्ञ राजा चक्रधर सिंह के यहां सन 1940 से 1949 तक दीवान रहे। बिलासपुर के एस.बी.आर कालेज तथा भिलाई के कल्याण महाविद्यालयों के संस्थापक प्राचार्य रहे। रायगढ़, खरसिया तथा राजनांदगांव नगर पालिका के अध्यक्ष एवं रायपुर नगर पालिका के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी रहे। राजनांदगांव में खुज्जी विधानसभा से विधायक के रूप में उन्होंने मध्यप्रदेश की पाँचवीं विधान सभा को भी अपनी उपस्थिति से महिमा मंडित किया। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में उपकुलपति के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएँ प्रदान की। वर्ष 1962-65 तक डॉ. मिश्र बिलासपुर संभाग के विजिलेस कमिश्नर भी रहे। कान्यकुब्ज समाज रायपुर को अध्यक्ष के रूप में वर्ष 1959 से 1961 तक आपका मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्राप्त हुआ। 4 सितम्बर 1975 को मानस भवन राजनांदगांव में डॉ. मिश्र ब्रह्मलीन हुये। उनके सम्मान में आशीर्वाद भवन के कक्ष क्रमांक - 2 का नामकरण डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र जी की स्मृति में किया गया। *********



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