पंडित रविशंकर शुक्ल जी संस्थापक "अध्यक्ष"
परिचय
मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री माननीय पं. रविशंकर शुक्ल ने कान्यकुब्ज सभा एवं शिक्षा मंडल रायपुर की स्थापना 1917 में की। वे इस संस्था के संस्थापक अध्यक्ष रहे। प्रदेश की जनता उन्हें प्यार से 'कक्काजी' भी कहती थी। आज यह भवन बैरन बाजार में स्थित आशीर्वाद भवन के नाम से प्रसिध्द है। यहां पर आज पं. मुन्नालाल शुक्ल स्मृति आशीर्वाद हायर सेकेंडरी इंग्लिश मीडियम स्कूल का संचालन संस्था द्वारा किया जा रहा है। श्री शुक्ल जी ने समाज, प्रदेश और राष्ट्र की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे विशाल व्यक्तित्व के धनी थे। राष्ट्रीय चेतना को प्रखर बनाने के लिए सामाजिक सुधार की अनिवार्य आवश्यकता को महसूस करते हुए उन्होंने स्वयं अपने समाज को सुधारने की दिशा में पहल की। कान्यकुब्ज सभा की गतिविधियों में वे सक्रिय रूप से भाग लेते थे। अपने समाज को राष्ट्र की मुख्य विचाराधारा में जोड़ने की दिशा में शिक्षा के महत्व को समझते हुए उन्होंने रायपुर में कान्यकुब्ज छात्रावास का निर्माण कराया। समाज सेवा के क्षेत्र में उनका ऐतिहासिक योगदान रहा है। समाज सेवा के अलावा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी गहरी रूचि रही है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वहीं पं. रविशंकर शुक्ल जी ने ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को देशभक्ति और आजादी के आन्दोलन का ज्योतिस्तंभ बना दिया था। रायपुर में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना में योगदान दिया। श्री शुक्ल ने छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी के रूप में विख्यात रायपुर के गांधी चौक में उनकी प्रेरणा से बना कांग्रेस भवन विदेशी हुक्मरानों के लिए चुनौती बन चुका था। सन् 1937 के कांग्रेस मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री की हैसियत से श्री शुक्ल जी ने प्रदेश में अभिनव विद्या मंदिर योजना को प्रारंभ किया था। इस योजना को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए पं. रविशंकर शुक्ल ने शिक्षा के क्षेत्र में सागर विश्वविद्यालय, खैरागढ़ में संगीत विश्वविद्यालय और विश्व प्रसिद्ध भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के साथ रायपुर में आयुर्वेद महाविद्यालय तथा कोरबा ताप विद्युत परियोजना के कार्यान्वयन में उनकी अविस्मरणीय उपलब्धियां है। भिलाई में इस्पात कारखाने की स्थापना के लिए तो उन्होंने अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा को भी दांव पर लगा दिया था। श्री शुक्ल जी ने खैरागढ़ हाईस्कूल में प्रधान अध्यापक पद पर कुछ समय तक कार्य किया। रायपुर में वकालत करने के बाद शीर्ष स्तर के वकीलों में उनकी गिनती होने लगी थी। भारत को अंग्रेजों की हुकुमत से मुक्त कराने के लिए अनेकों प्रयास किये। 1914 में रायपुर नगर पालिका के सदस्य निर्वाचित हुए। 1924 में स्वराज्य पार्टी की ओर से प्रांतीय धारा के सदस्य निर्वाचित, 1930 में नमक सत्यग्रह आंदोलन के दौरान गिरफ्तार, 1936 में डॉ. ना, भा. खरे के प्रथम कांग्रेस मंत्री मंडल में शिक्षा मंत्री बने। 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलनों के दौरान गिरफ्तार हुए। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में पुनः गिरफ्तार। आजादी के बाद मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में विकास के अनेकों महत्वपूर्ण कार्य किये। 1956 में जब राज्यों का पुर्नगठन किया गया तो महाकौशल के चौदह जिले तथा मध्यभारत के जिलों को मिला कर नये मध्य प्रदेश का निर्माण हुआ। पुर्नगठन के पश्चात नये मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल निर्वाचित हुए। नये मध्य प्रदेश की स्थापना 1 नवम्बर 1956 में हुई थी। राज्य के कार्यों से श्री शुक्ल जो दिल्ली गये हुए थे। वहीं पर अस्वस्थ हुए और 31 दिसम्बर 1956 को दिल्ली में ही उनका देहवासन हो गया। पं. रविशंकर शुक्ल राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में एक प्रमुख स्थान रखते थे। उनके द्वारा किये गये कायों को जनसामान्य आदर के साथ स्मरण करता है। *********