पं. वीरेन्द्र पाण्डेय "अध्यक्ष"
परिचय
आपका जन्म 2 सितम्बर 1950 को गीदम (बस्तर) में हुआ। आपकी शिक्षा एम.कॉम., एल.एल.बी.. सी.ए. है। आप प्रारंभ से ही प्रतिभावान् विद्यार्थी थे। आपने 8वीं बोर्ड में पूरे बस्तर संभाग में प्रथम स्थान प्राप्त किया, एम. कॉम. प्रावीण्य सूची में दूसरा स्थान, अन्य सभी परीक्षाऐं में प्रथम श्रेणी या प्रावीण्य सूची में सम्मान सहित उत्तीर्ण की है। आप तत्कालीन मध्य प्रदेश एवं वर्तमान छत्तीसगढ़ की राजनीति में प्रारंभ से ही काफी सक्रिय है। आप बहुत अच्छे वक्ता है सभी विषयों पर आपका ज्ञान असीमित है अपनी इसी अभूतपूर्व संगठनात्मक क्षमता एवं ऊर्जा के कारण आपने भा.ज.पा. संगठन, सामाजिक संगठन एवं अन्य संगठनों में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहकर अपने उत्तर दायित्व का सफलतापूर्वक निवर्हन किया है। नक्सल-विरोधी मुहिम में पूर्ण सक्रियता से आपका योगदान रहा है। आप वर्ष 1971 से अब तक विभिन्न आंदोलनों में भाग लेने के कारण 50 से अधिक बार जेल जा चुके है। आपात काल में भूमिगत रहकर आपने पार्टी की विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियों का संचालन किया। दल के निर्देशानुसार सत्याग्रह करने के कारण आप जेल में डाल दिए गए थे। 1977 में जगदलपुर (बस्तर) से आप विधायक निर्वाचित हुए, आप राज्य सरकार में संसदीय सचिव भी रहे तथा वर्ष 2004 से 2007 तक छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष रहे। आपने वर्ष 1986 में जगदलपुर (बस्तर) से मध्य प्रदेश तक की 2500 कि. मी. की पदयात्रा की। कान्यकुब्ज सभा एवं शिक्षा मण्डल के अध्यक्ष के रूप में आपका लम्बा कार्यकाल रहा। आपके साथ सचिव पद पर क्रमशः पं. राजेन्द्र शुक्ल जी, पं. शरद शुक्ल जी, पं. संजय अवस्थी रहें। आपके कार्यकाल में वित्तीय अनुशासन का कठोर ढंग से पालन हुआ तथा सीमित संसाधनों के बावजूद भी समाज की उतरोत्तर तरक्की एवं वृद्धि हुई। आपके कार्यकाल में प्रथम तल में पाकशाला, वर्तमान ट्रांजिट हॉस्टल, वातानुकूलित कांफेस हॉल तथा कार्यालय बिल्डिंग का निर्माण कार्य हुआ। अन्तर-समाज सहभागिता के अंतर्गत माहेश्वरी समाज, अग्रवाल समाज, मारवाड़ी समाज, छत्तीसगढ़ी गुजराती समाज के साथ सहयोग कर आपने विकलांग युवक-युवती परिचय सम्मेलन एवं विकलांग युवक-युवती विवाह समारोह में भागीदारी बढ़ाई। इस कार्यक्रम में प्रतिवर्ष सम्मानित संख्या में जोड़ों के विवाह के आयोजन के साथ-साथ शोभा यात्रा कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते रहे। आपके अथक प्रयास के कारण अंतर-समाज समरसता में वृद्धि हुई है, साथ ही, हमारे कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज को व्यापक प्रचार-प्रसार मिला। शहर देश- प्रदेश के ब्राह्मण समाजों में भी आपका बहुत सम्मान है एवं आपकी सक्रिय भागीदारी भी है। *********